हेम लोक कला केंद्र

हेम लोक कला केंद्र की स्थापना श्री प्रीतम भरतवाण जी ने आपने पूज्य पिताजी स्व. श्री हेम दास भरतवाण जी के नाम पे सन २००६ में करी थी | यह एक शेक्षणिक सस्था हे जंहा उत्तराखंड की लोक संस्कृति , जागर , पवाडा , लोक गीत , लोक वाध्य यंत्र , राजकीय वाध्य यंत्र व गड़वाल कुमाव की लोक संस्कृति सिखाई जाती हे | करीब ६०० बिभिन्न बर्ग के बच्चो ने अभी तक ढोल सागर की विद्या हेम लोक कला केंद्र से ग्रहण करी हे | उसके साथ साथ करीब २३० विद्यार्थियों ने लोक जागर व लोक गीतों पे यंहा से सिक्षा प्राप्त करी हे |

हेम लोक कला केंद्र में विदोशो से भी करीब ४२ सोधर्थियो ने ढोल सागर की सिक्षा अभी तक ग्रहण करी हे , और इसके साथ साथ श्री प्रीतम भरतवाण जी ने हेम लोक कला केंद्र के द्वारा करीब २२ देशो में ढोल दमाऊ , हुड़का , डोंर थाली को ले जा कर उत्तराखंड की संस्कृति को एक नया रूप दिया | हेम लोक कला केंद्र आगे भी आपनी संस्कृति और लोक कला के लिए हमेशा कार्यावध हे और इसी क्रम में हेम लोक कला केंद्र ने अगले साल २०१७ में क़रीब ३२ कक्षाये लगाने का निर्णय लिया हे , जिसमे उत्तराखंड के दूर दराज गांव से ले कर दिल्ली , बेंगलोर , मुंबई , पंजाब , देहरादून , दुबई , क़तर , मसकट , अमेरिका , लन्दन , कनाडा व न्वेजिलैंड में भी ढोल सागर व लोक संस्कृति की कक्षाए लगायी जायेंगी |

हेम लोक कला केंद्र समस्त उत्तराखंड वासियों से अनुरोध करता हे की आप लोग इस मुहीम में हमारा साथ दे और हम सब मिल कर आपनी संस्कृति को बचाए और आपनी संस्कृति को विस्वविखायत बनाये |